शहरी जीवन से प्रकृति की ओर एक कदम
विनोद साधासिवन और उनकी पत्नी पॉलमथी विनोद ने अपने जीवन की दिशा बदलने का साहसिक निर्णय लिया। दोनों ने पारंपरिक नौकरियों और शहर की व्यस्त जीवनशैली को पीछे छोड़कर एक ऐसे जीवन को अपनाया, जहां वे न केवल प्रकृति के समीप रह सकें बल्कि उसके संरक्षण के लिए भी प्रयास कर सकें। ‘रोमिंग आउल्स’ नाम से मशहूर यह जोड़ा आज वनों को पुनर्जीवित करने और जैव विविधता की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
प्रकृति से जुड़ाव: बचपन से शुरू हुई कहानी
विनोद, जो नागरकोइल के रहने वाले हैं, बचपन से ही प्रकृति की ओर आकर्षित थे। हालांकि, उन्हें अपनी शिक्षा और करियर के लिए चेन्नई जैसे महानगर में रहना पड़ा, जहां प्राकृतिक वातावरण बहुत सीमित था। लेकिन उनके भीतर हमेशा हरियाली की तलाश थी। इसी जुनून ने उन्हें वन्यजीवन और संरक्षण की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
आर्थिक स्वतंत्रता और यात्रा का सपना
हर सपने को साकार करने के लिए एक मजबूत आर्थिक नींव की जरूरत होती है, और विनोद इस बात को अच्छी तरह समझते थे। उन्होंने स्टॉक मार्केट और बिजनेस में निवेश करना शुरू किया ताकि वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सकें और अपने लक्ष्य को पूरा कर सकें। बैंक की नौकरी के साथ-साथ उन्होंने संपत्ति में निवेश किया, जिससे उन्हें एक स्थिर आय प्राप्त होने लगी।
संयुक्त दृष्टि: यात्रा से संरक्षण तक का सफर
जब पॉलमथी उनकी जिंदगी में आईं, तो उनका यह सपना और भी सशक्त हो गया। दोनों ने मिलकर फैसला किया कि वे 35 की उम्र तक आर्थिक रूप से स्वतंत्र होकर अपना पूरा समय प्रकृति को समर्पित करेंगे। शादी के बाद, दोनों ने सप्ताहांत में जंगलों की यात्रा करनी शुरू की और जल्द ही उन्हें वन्यजीवों, पक्षियों और तितलियों के बारे में गहरी समझ विकसित होने लगी।
अमेरिका में प्रकृति से नया रिश्ता
2010 से 2014 तक, पॉलमथी के आईटी जॉब के कारण वे अमेरिका में रहे, जहां उन्हें मौसम के बदलाव और स्थानीय जैव विविधता को देखने का मौका मिला। इस दौरान, विनोद ने एक नेचुरलिस्ट के रूप में भी काम किया। अमेरिका की जंगल यात्राओं ने उनके भीतर संरक्षण और वृक्षारोपण का एक नया जज्बा पैदा कर दिया।
भारत लौटने के बाद संरक्षण की ओर पहला कदम
भारत लौटने के बाद, उन्होंने हिमाचल प्रदेश में एक वर्ष तक संरक्षण परियोजना में भाग लिया। यहां उन्होंने कुटकी फूलों को संरक्षित करने का कार्य किया, जो औषधीय उपयोग के कारण अत्यधिक दोहन का शिकार हो रहे थे। इसके बाद, उन्होंने पूरे भारत में घूम-घूमकर वनों और जैव विविधता का अध्ययन किया।
कन्याकुमारी में वन पुनर्जीवन अभियान
2022 में, इस जोड़े ने ‘कन्याकुमारी नेचर फाउंडेशन’ नामक एक एनजीओ की स्थापना की। यह संगठन वनों के पुनर्जीवन, जैव विविधता की रक्षा और जागरूकता फैलाने का कार्य करता है। वर्तमान में, वे कन्याकुमारी वन्यजीव अभयारण्य के 400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में वन पुनर्जीवन परियोजना पर कार्य कर रहे हैं।
वन्यजीव और जैव विविधता का दस्तावेजीकरण
रोमिंग आउल्स न केवल संरक्षण कार्य करते हैं, बल्कि वे जीवों और पेड़-पौधों का दस्तावेजीकरण भी करते हैं। उन्होंने कन्याकुमारी वन्यजीव अभयारण्य में कई दुर्लभ पक्षियों और जीवों की उपस्थिति को रिकॉर्ड किया है। उनके द्वारा खोजी गई ‘बायोलुमिनेसेंट मशरूम’ और ‘क्रिमसन रोज बटरफ्लाई माइग्रेशन’ पर शोध पत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं।
एक अलग तरह का यात्रा ब्लॉग
रोमिंग आउल्स का ब्लॉग पारंपरिक यात्रा ब्लॉग से अलग है। यह केवल दर्शनीय स्थलों और खाने-पीने की चीजों की जानकारी नहीं देता, बल्कि पर्यावरण और जैव विविधता पर ध्यान केंद्रित करता है। वे यात्रा के दौरान पाए गए दुर्लभ पक्षियों, तितलियों और पौधों के बारे में विस्तार से लिखते हैं।
यात्रियों और व्लॉगर्स को संदेश
विनोद और पॉलमथी का मानना है कि आज की यात्रा संस्कृति में दिखावे का तत्व बढ़ गया है। वे चाहते हैं कि व्लॉगर्स और ट्रैवलर उन स्थानों की वास्तविक सुंदरता और जैव विविधता के बारे में बात करें, न कि केवल फैंसी होटलों और खाने की चीजों के बारे में।
नए खोजकर्ताओं के लिए सुझाव
जो लोग प्रकृति से जुड़े कार्यों में आना चाहते हैं, उनके लिए विनोद और पॉलमथी का सुझाव है कि वे पहले आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करें और फिर अपनी यात्रा की दिशा तय करें। वे कहते हैं, “यात्रा का कोई एक तरीका नहीं होता, हर व्यक्ति की प्राथमिकताएं अलग होती हैं। जरूरी यह है कि आप अपने रास्ते को खुद तय करें और उसे पूरे मन से अपनाएं।”
रोमिंग आउल्स की कहानी एक प्रेरणा है उन सभी के लिए जो प्रकृति से गहराई से जुड़ना चाहते हैं। यह हमें सिखाती है कि यदि आप सही योजना और संकल्प के साथ आगे बढ़ें, तो आप अपने सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं। प्रकृति संरक्षण केवल सरकार या संगठनों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने आसपास के पर्यावरण की रक्षा के लिए कदम उठाए।