अरावली पर्वत श्रृंखला न केवल भारत की सबसे पुरानी पहाड़ियों में से एक है, बल्कि यह उत्तर भारत को मरुस्थलीकरण से बचाने वाली एक प्राकृतिक ढाल भी है। लेकिन, अवैध खनन, जंगलों की कटाई और बढ़ते शहरीकरण ने इसे विनाश की कगार पर ला दिया है। “अरावली बचाओ” आंदोलन सिर्फ़ पहाड़ों को बचाने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह जीवन, जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अरावली को बचाना क्यों ज़रूरी है?
1. मरुस्थलीकरण से बचाव
अरावली पर्वत राजस्थान के थार मरुस्थल और उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के बीच एक प्राकृतिक ढाल का काम करती है। यदि अरावली नष्ट हो गई, तो रेगिस्तान की रेत दिल्ली और हरियाणा तक फैल सकती है।
2. जल स्रोतों का संरक्षण
अरावली पर्वत की हरियाली भूजल पुनर्भरण में मदद करती है। यदि जंगलों की कटाई जारी रही, तो झीलें और जल स्रोत सूख जाएंगे, जिससे पानी का गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है।
3. जैव विविधता की रक्षा
यह क्षेत्र बाघ, तेंदुआ, लोमड़ी, नीलगाय, और दुर्लभ पक्षियों सहित कई जीव-जंतुओं का घर है। जंगलों के खत्म होने से इनकी प्रजातियों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगेगा।
4. प्रदूषण नियंत्रण
अरावली के घने जंगल दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा को साफ करने में सहायक हैं। यदि ये पेड़ काट दिए गए, तो वायु प्रदूषण और अधिक गंभीर हो सकता है।
5. स्थायी विकास और आजीविका
स्थानीय समुदायों की आजीविका अरावली के जंगलों पर निर्भर करती है। यदि सतत विकास और इको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाए, तो अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
अरावली के विनाश के कारण
अवैध खनन और अतिक्रमण
हालांकि कई प्रतिबंध लगाए गए हैं, लेकिन अवैध खनन और खनिजों के अंधाधुंध दोहन ने अरावली के कई हिस्सों को बंजर बना दिया है।
शहरीकरण और पेड़ों की कटाई
गुड़गांव और फरीदाबाद जैसे शहरों के विस्तार के कारण अरावली के बड़े हिस्से में जंगलों की कटाई हो रही है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है।
कानूनी सुरक्षा का अभाव
कई कड़े कानून होने के बावजूद, राजनीतिक हस्तक्षेप और कमजोर प्रशासन के कारण अरावली का विनाश लगातार जारी है।
अरावली को बचाने के लिए क्या किया जा सकता है?
सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदम
- अवैध खनन और जंगलों की कटाई पर कठोर प्रतिबंध लगाए जाएं।
- अरावली को राष्ट्रीय संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए।
- वनीकरण को बढ़ावा दिया जाए और वनों की रक्षा के लिए सख्त नियम बनाए जाएं।
सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता
- स्थानीय लोगों को जंगलों के महत्व के बारे में शिक्षित किया जाए।
- पौधारोपण अभियान चलाए जाएं और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाएं।
- स्कूलों और कॉलेजों में अरावली संरक्षण को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए।
नागरिकों के प्रयास
- पर्यावरणीय आंदोलनों और पेटिशन पर हस्ताक्षर करें।
- स्थायी जीवनशैली अपनाएं और प्राकृतिक संसाधनों का सीमित उपयोग करें।
- अवैध खनन और वनों की कटाई की सूचना संबंधित अधिकारियों को दें।
अरावली का भविष्य: पुनर्जन्म की उम्मीद
आज अरावली संकट में है, लेकिन यदि हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो इसे पुनर्जीवित किया जा सकता है। कड़े कानूनों का पालन, जागरूकता अभियान और स्थानीय समुदायों की भागीदारी से इस पर्वत श्रृंखला को बचाया जा सकता है।
अब समय आ गया है कि हम एकजुट होकर “अरावली बचाओ” अभियान में शामिल हों और इस प्राकृतिक धरोहर को बचाएं।
अगर हम आज अरावली को नहीं बचाएंगे, तो भविष्य में हमें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।