राजस्थान, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और विशाल मरुस्थलीय भूमि के लिए विश्व प्रसिद्ध है, केवल महलों और रेगिस्तान का ही राज्य नहीं है। यह राज्य वन्यजीव अभ्यारण्यों और नदियों के आसपास फैले अद्भुत जैव विविधता वाले क्षेत्रों के लिए भी जाना जाता है। राजस्थान के अभ्यारण्य न केवल वन्यजीवों की अद्वितीय प्रजातियों के संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाते हैं, बल्कि पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं।
इस लेख में, हम राजस्थान के उन प्रमुख अभ्यारण्यों की चर्चा करेंगे, जो नदियों के किनारे स्थित हैं और जिनका पर्यावरणीय महत्व और जैविक विविधता संरक्षण में योगदान अमूल्य है।
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य: अनमोल प्रजातियों का घर
चंबल नदी के किनारे फैला राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य वन्यजीव संरक्षण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह अभ्यारण्य 5,400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है और यह राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा से होकर गुजरता है।
यहां का सबसे प्रमुख आकर्षण घड़ियाल है, जिसे संरक्षण के लिए ‘संकटग्रस्त प्रजाति’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसके अलावा, लाल मुकुट वाले कछुए और गंगा डॉल्फिन जैसी दुर्लभ जलचर प्रजातियां भी यहां पाई जाती हैं। चंबल नदी का पानी साफ और अविरल है, जो इन प्रजातियों के जीवन और उनके पर्यावास के लिए उपयुक्त माहौल प्रदान करता है।
प्रमुख विशेषताएं:
- स्थान: राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश
- क्षेत्रफल: 5,400 वर्ग किलोमीटर
- मुख्य आकर्षण: घड़ियाल, गंगा डॉल्फिन, लाल मुकुट कछुआ
- पर्यावरणीय महत्व: जल-आधारित प्रजातियों का संरक्षण और नदी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखना।
जवाहर सागर अभ्यारण्य: मगरमच्छों और पक्षियों का स्वर्ग
कोटा, बूंदी और चित्तौड़गढ़ जिलों के समीप स्थित जवाहर सागर अभ्यारण्य उन अभ्यारण्यों में से एक है, जो वन्यजीवों और जलचर प्रजातियों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध हैं। यह अभ्यारण्य चंबल नदी के जलाशय के करीब स्थित है और मगरमच्छों तथा विभिन्न जल पक्षियों के लिए एक आदर्श स्थान है।
यहां का शांत वातावरण पक्षियों को आकर्षित करता है, जो इसे पक्षी प्रेमियों के लिए एक बेहतरीन गंतव्य बनाता है। हर साल सर्दियों के मौसम में यहां प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियां आती हैं।
प्रमुख विशेषताएं:
- प्रमुख वन्यजीव: मगरमच्छ, बगुला, सारस
- आसपास के आकर्षण: कोटा बैराज और चित्तौड़गढ़ किला
- अवस्थिति: चंबल नदी के करीब
शेरगढ़ अभ्यारण्य: सर्प संरक्षण का केंद्र
चित्तौड़गढ़ जिले में 99 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला शेरगढ़ अभ्यारण्य सर्प संरक्षण के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र में सांपों की कई प्रजातियां देखी जा सकती हैं, जिनमें से कई दुर्लभ हैं।
इसके अलावा, यहां लकड़बग्घा, नीलगाय, चिंकारा और जंगली सूअर जैसे जानवर भी पाए जाते हैं। यह अभ्यारण्य जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विशेषताएं:
- क्षेत्रफल: 99 वर्ग किलोमीटर
- मुख्य वन्यजीव: सांप, लकड़बग्घा, नीलगाय
- पर्यावरणीय महत्व: सर्प प्रजातियों के संरक्षण और उनके पर्यावास को बचाए रखना।
राजस्थान के अन्य प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण्य
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान:
हालांकि यह नदी किनारे नहीं है, फिर भी यहां की जल धाराएं और तालाब बाघों और अन्य प्रजातियों को पानी उपलब्ध कराते हैं।
सरिस्का टाइगर रिजर्व:
सरिस्का का क्षेत्रफल और उसकी नदियां इसे जैव विविधता का उत्कृष्ट स्थल बनाती हैं।
केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान:
यहां प्रवासी पक्षियों की विविधता देखने लायक है।
राजस्थान के अभ्यारण्य और उनकी पर्यावरणीय भूमिका
राजस्थान के वन्यजीव अभ्यारण्य जैव विविधता के संरक्षण और प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन अभ्यारण्यों में नदियों और जल स्रोतों का विशेष महत्व है, क्योंकि ये न केवल जलीय प्रजातियों के लिए, बल्कि भूमि पर रहने वाले वन्यजीवों के लिए भी जीवनदायी हैं।
अभ्यारण्य भ्रमण के लिए टिप्स
- यात्रा के लिए शीतकालीन मौसम सबसे उपयुक्त है।
- वन्यजीवों को देखने के लिए सुबह और शाम का समय बेहतर होता है।
- स्थानीय गाइड की सहायता से भ्रमण करें।
- कैमरा साथ ले जाना न भूलें, लेकिन वन्यजीवों को परेशान न करें।