राजस्थान की ऐतिहासिक धरती पर स्थित तिमनगढ़ किला, जो करौली जिले के मासलपुर तहसील में स्थित है, रहस्य, रोमांच और श्राप की कहानियों से भरपूर है। यह किला अपनी भव्यता, प्राचीन मूर्तियों, छुपे खजानों और पारस पत्थर की दास्तान के लिए जाना जाता है। इस किले का नाम राजा तिमनपाल के नाम पर रखा गया, जिन्होंने इसे 1100 ईस्वी में बनवाया था।

हालांकि, इस किले का वैभव और समृद्धि लंबे समय तक बरकरार नहीं रह पाई। समय-समय पर हुए हमलों, तस्करी और श्राप के कारण यह किला आज खंडहर में तब्दील हो चुका है। किले के अंदर छुपे खजानों और अष्टधातु की मूर्तियों की कहानियां आज भी लोगों को यहां खींच लाती हैं।

आइए जानते हैं तिमनगढ़ किले के इतिहास, रहस्यमयी किस्सों और इसकी भव्यता के बारे में।


तिमनगढ़ किले का इतिहास और निर्माण

तिमनगढ़ किला 1100 ईस्वी में भरतपुर के राजपरिवार के राजा तिमनपाल द्वारा बनवाया गया। किले का निर्माण मासलपुर में सागर झील के किनारे किया गया था। यह किला उस समय क्षेत्रीय सुरक्षा का एक मजबूत गढ़ था।

लेकिन इसके निर्माण के तुरंत बाद ही किले पर आक्रमण हुआ, जिससे यह बर्बाद हो गया। इसके बाद, राजा तिमनपाल ने इसे दोबारा बनवाया। किले का आंतरिक भाग प्राचीन हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों और जटिल नक्काशियों से सजाया गया है।

किले की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में शामिल हैं:

  • अष्टधातु और पत्थर की प्राचीन मूर्तियां, जो अब जमीन के नीचे छुपी हुई मानी जाती हैं।
  • सागर झील, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां पारस पत्थर छुपा हुआ है।
  • किले के मुख्य प्रवेश द्वार, जिसे ‘जगनपोल’ के नाम से जाना जाता है।

श्राप और नटनी की कहानी

तिमनगढ़ किले से जुड़ी सबसे चर्चित कहानी नट और नटनी के श्राप की है। यह घटना किले के दुर्भाग्य की शुरुआत मानी जाती है।

श्राप की कहानी

कहा जाता है कि एक बार राजा ने एक नट से रस्सी पर चलने का खेल दिखाने को कहा। राजा ने नट को चुनौती दी कि यदि वह एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी तक रस्सी पर चलकर पहुंच जाए, तो वह उसे अपने राज्य का आधा हिस्सा दे देगा।

नट ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया। जैसे ही वह अपनी मंजिल के करीब पहुंचने वाला था, रानी ने अपने बेटों के साथ मिलकर रस्सी कटवा दी, ताकि नट राज्य का आधा हिस्सा न जीत सके। रस्सी कटने के कारण नट गिरकर मर गया।

नट की पत्नी, नटनी, इस धोखाधड़ी से बेहद क्रोधित हो गई और उसने राजा को श्राप दिया कि उसका किला और राज्य बर्बाद हो जाएगा।

इसके बाद से ही तिमनगढ़ किले का दुर्भाग्य शुरू हुआ।


पारस पत्थर: लोहे को सोना बनाने का रहस्य

तिमनगढ़ किला अपने रहस्यमयी पारस पत्थर के कारण भी प्रसिद्ध है। लोककथाओं के अनुसार, यह पत्थर लोहे को सोने में बदलने की अद्भुत शक्ति रखता है।

कहा जाता है कि राजा तिमनपाल इस पत्थर का उपयोग करके अपनी प्रजा से कर के रूप में लोहा लेते थे और उसे सोने में बदल देते थे। इस सोने को किले के भूमिगत कक्षों में छुपा दिया जाता था।

पारस पत्थर की कहानी से जुड़े दिलचस्प तथ्य:

  • पारस पत्थर को किले की तलहटी में स्थित सागर झील में छिपा हुआ माना जाता है।
  • जब किले पर आक्रमण हुआ, तो राजा ने इस पत्थर को झील में फेंक दिया था, ताकि यह दुश्मनों के हाथ न लगे।
  • कुछ लोगों का मानना है कि पारस पत्थर की सुरक्षा एक जिन्न द्वारा की जाती है।

पारस पत्थर की यह कहानी आज भी लोगों को किले तक खींच लाती है।


तस्करी और प्राचीन मूर्तियों की चोरी

तिमनगढ़ किला प्राचीन अष्टधातु और पत्थर की मूर्तियों के लिए भी प्रसिद्ध है। इन मूर्तियों में नटराज, सूर्य देवता और अन्य हिंदू देवी-देवताओं की अद्भुत कलाकृतियां शामिल हैं।

कहा जाता है कि:

  • जब मुस्लिम और मुगल शासकों ने जैन मंदिरों को नष्ट करना शुरू किया, तो इन मूर्तियों को तिमनगढ़ किले में जमीन के नीचे छिपा दिया गया।
  • तस्करों ने इन मूर्तियों को चुराने के लिए हेलीकॉप्टर का भी इस्तेमाल किया।
  • कुछ मूर्तियां अंतरराष्ट्रीय नीलामी घरों, जैसे क्रिस्टीज और सुदबी, में भी देखी गई हैं।

आज भी, किले में छुपी मूर्तियों और खजानों की तलाश में लोग यहां खुदाई करते रहते हैं।


तिमनगढ़ किले की वास्तुकला और विशेषताएं

तिमनगढ़ किला अपने समय की अद्भुत वास्तुकला का प्रतीक है।

किले की मुख्य विशेषताएं:

  1. भव्य प्रवेश द्वार: किले का मुख्य द्वार ‘जगनपोल’ के नाम से जाना जाता है। किले में कुल 5 प्रवेश द्वार हैं।
  2. दीवारें और प्रांगण: किले में 80 से अधिक दीवारें हैं, जो इसे एक मजबूत किले के रूप में दर्शाती हैं।
  3. मूर्तियां और नक्काशी: किले के अंदर देवी-देवताओं की मूर्तियां और जटिल नक्काशी कला प्रेमियों को आकर्षित करती हैं।
  4. सागर झील: यह झील किले के तलहटी में स्थित है और इसे पारस पत्थर का स्थान माना जाता है।

किले का खजाना और तंत्र-मंत्र का प्रभाव

तिमनगढ़ किले से जुड़ी एक और रहस्यमयी कहानी तंत्र-मंत्र और खजानों की है।
कहा जाता है कि कई लोग यहां खजाने की तलाश में आते हैं और तंत्र-मंत्र का सहारा लेते हैं।

कुछ लोगों का मानना है कि:

  • खजाने की रक्षा करने के लिए यहां एक जिन्न तैनात है।
  • खजाने की तलाश में आने वाले कई लोग अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं।

यह रहस्य तिमनगढ़ किले को और अधिक रोमांचक और डरावना बनाता है।

तिमनगढ़ किला राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहर का एक ऐसा हिस्सा है, जो रहस्य, रोमांच और इतिहास से भरपूर है। यह किला न केवल राजपूत साम्राज्य की गौरवशाली गाथाओं को दर्शाता है, बल्कि इसमें छुपे खजाने, पारस पत्थर और श्राप की कहानियां इसे और भी रोमांचक बनाती हैं।

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